साहित्य, संगीत, कला विहीन : । साक्षात पशु पुच्छ विषाणहीन: ।।
शिक्षा का सर्वोच्च उददेश्य बच्चों का बहुमुखी विकास करना है। विशेषकर प्राथमिक शिक्षा का मुख्य उददेश्य छात्रों के बौद्धिक या मानसिक विकास के साथ-साथ उसके शारीरिक, सामाजिक, संवेगात्मक व सृजनात्मक पक्ष का समुचित विकास होना चाहिए। तभी छात्र स्वविकास के सोपानों पर अग्रसर होता हुआ एक सुयोग्य नागरिक बनकर समाज व राष्ट्र के निर्माण व विकास में अपना अमूल्य योगदान दे सकता है।
छात्रों के व्यकितत्व निर्माण शिक्षक की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। एक ज्ञानवान चरित्रवान, उत्तरदायी, कुशल व दक्ष शिक्षक ही इस भूमिका का निर्वहन पूर्णरूपेण कर सकता है। भावी शिक्षकों को उनकी भूमिका सही ढंग से निष्पादित करने में उनके प्रशिक्षण कालीन अनुभव सहायक होते हैं। अत: उनके प्रशिक्षण काल में उन्हें सैद्धानितक ज्ञान के साथ-साथ विविध गतिविधियों में भाग लेने का अवसर प्रदान कर उनकी अन्तर्निहित क्षमताओं के विकास का भी प्रयास किया जाता है।
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षणार्थियों की बहुआयामी क्षमताओं के विकास हेतु दिनांक 17.12.13 से 24.12.13 की अवधि में डायट फेस्टीवल 2013 का आयोजन प्रस्ततावित किया गया, जिसमें आयोजित प्रतियोगिताओं में बी0टी0सी0 2011 एवं बी0टी0सी0 2012 बैच के प्रशिक्षणार्थियों को प्रतिभाग करना है। इस समारोह के अन्तर्गत विभिन्न क्षेत्रों से सम्बनिधत निम्नलिखित प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा-
साहित्यक प्रतियोगिताएं-
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सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं-
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रचनात्मक प्रतियोगिताएं-
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कार्यानुभव सम्बन्धी-
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खेलकूद सम्बन्धी प्रतियोगिताएं-
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इन प्रतियोगिताओं में विजयी (प्रथमद्वितीय तृतीय ) प्रतियोगियों को प्राचार्य द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा। सभी प्रतिभागी प्रशिक्षणार्थियों को भी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने से सम्बनिधत प्रमाण पत्र प्रदान कर उनका उत्साहवर्धन किया जायेगा।